वृन्दावन – ३, ४

वृन्दा के इशारे पर सभी पक्षी शोर करेंगे । हे सुवदनी, शुक और शारी के वचन सुनकर तुम जाग कर बैठ जाओगी । मेरे धनी, तुम पीताम्बर से अपने अंग को ढंककर, नागर के पास जाकर बैठ जाओगी । प्रिय सखी गण तुम्हें चारों तरफ से घेर लेंगे । तुम दोनों की आँखें निद्रा से रंगे होंगे और अभी भी नींद भरी होंगी ।

 

तुम्हारी प्रिय सखियाँ , जैसे कि ललिता सखी , तुम्हें देखकर परम सुखी होंगी । तुम्हारी वेणी खुली होगी और नागर के हार और कुण्डल में तुम्हारे केश अटके होंगे । मैं बड़े कौशल से अपनी उंगलियों से आहिस्ता आहिस्ता तुम्हारे केश को अलग करूँगी । जब सखियाँ यह दृश्य देखेंगी, तब तुम शरमाकर चेहरा नीचा कर लोगी । नागर तो बड़े रसिक हैं। वे तुम्हें अपनी बाहों में भरकर तुम्हारे सुन्दर मुख को चूम लेंगे । यह देखकर सखियाँ हंस पड़ेंगीं । कितने मीठे रसालाप होंगे । हंसी की तरंगें उठेंगी । और इस रसालाप को सुनकर मेरा दिल शांत होगा । कब तुम इस दीन कृष्णदास पे कृपा करके उसे अपने चरण कमलों की छाया में रखोगी ?

 

हाय हाय सुवदनी, कब मेरा ऐसा नसीब होगा कि मैं तुम्हारी दास्य सेवा रस में डूब जाऊँगी ? रात्री के अंत में तुम दोनों निकुन्ज मंदिर में पलंग पर बैठे रहोगे । तुम्हारी चारों तरफ ललिता और बाकी सखियाँ होंगी । तुम दोनों ऐसे दिखोगे जैसे कि ताराओं के बीच चंद्रमा का उदय हुआ है । कब मैं उस सुन्दर दृश्य को देखूँगी ? सुगन्धित जल से दोनों का मुँह धुलाऊँगी ।

उनके वेश विगलित हो गये हैं । मैं फिर से कब उन्हें सजाऊँगी और फिर सोने का आइना उनके सन्मुख धरूँगी ? कब मैं उनके मुँह में ताम्बूल बीड़ा दूँगी ? दोनों को रत्नवेदी के ऊपर बिठाऊँगी । कर्पूर की बत्ती से उनकी आरती उतारूँगी । इस तरह की मधुर सेवा करने की कृपा कब मिलेगी इस किंकरी को ? प्रिय सखियाँ दोनों के विमल यश गाएँगे । हाय ! मैं उसे कब सुनूँगी ? दीन कृष्णदास की यही अभिलाषा है, कि कब वह उनके सामने मधुर वाद्य यंत्र बजाएगी ?



One thought on “वृन्दावन – ३, ४

  1. Radhe Radhe! Again the deepest aspirations of a manjari! These are the bhāvs that should arise in a manjari’s heart! The process of making of manjari involves this! When He plays the flute, then the emotions (adapted in the heart through anugatya) come out in form of (not just tears, etc. but) paraṁ intense ārtis…which actually make the way to the līlā! Till then the heart is to be carefully preserved & nurtured to sweetest standards! 🙂

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