ओ लाली मेरी प्यारी दुलारी
कहकर जसोदा सजाये,
चमकीले लट काले घन-घट,
संवारकर वेणी बनाये ।
कितने दिनों की आस आज बुझाये मैया प्यास
हाथों से राधा को सजाये,
पहिनाये नवीन वसन और कीमती भुषण,
प्यारी को पुचकारती जाये … Read more >
ओ लाली मेरी प्यारी दुलारी
कहकर जसोदा सजाये,
चमकीले लट काले घन-घट,
संवारकर वेणी बनाये ।
कितने दिनों की आस आज बुझाये मैया प्यास
हाथों से राधा को सजाये,
पहिनाये नवीन वसन और कीमती भुषण,
प्यारी को पुचकारती जाये … Read more >
आवत रे मधुमंगल की टोली,
देख सखागण बजाये ताली ।
चलते ही चरण पड़े तीन बंक[1],
पग कलंकित कालिन्दी-पंक[2] ।
बोलते ही मुख पर करे कितने भंग[3],
नाचे ज़ोर से और … Read more >
३
राग मायुर
कमल-कुसुम सुकोमल कान्ति,
सर पे मोर-पंख की पंक्ति ।
आकूल अलि[1]-कुल बकुल की माला,
चन्दन चांद-चर्चित भाला[2] ।
मदन मोहन मूर्ति कान्ह[3],
देख उन्माद हुये युवती-प्राण ।
भौं-विभंगिम… Read more >
My dearest sisters and brothers, it fills me with utmost pain to see that Bharatvarsha has today hit rock bottom with the December 16 incident. Why is it so sad? Don’t such incients occur in other parts of … Read more >
३५
जन्म से मैंने, गौर-गर्व में बिताया,
फिर कैसे जिऊं इतना दुख सहकर ?
उर बिना सेज का, स्पर्श ना जानूं[1],
सो तन अब लोटे ज़मीन पर ।
वदन-मण्डल, चांद झिलमिल,
सो अति सुन्दर चेहरा,
लगता है ऐसे, … Read more >
३४
(प्रियाजी कहती हैं)
गौर-गर्व[1] में हाय, जीवन बिताया,
अब वे हुये निर्मम[2],
अपनों के वचन, गरल सम लागे,
गृह हुआ अग्नि सम[3] ।
याद कर उनका मुख, दिल फटा जाये,
शूल चूभे वक्ष में,
गौरांग … Read more >
३३
ठाकुर लोचन दास ने “श्री चैतन्य मंगल” में श्री गौर-गोविन्द की नित्य-लीला का सम्भोग लीलारंग इस तरह से वर्णन किया है –
शयन मन्दिर में सो रहे हैं नागर,
विष्णूप्रिया गयीं ताम्बूल थाली लेकर ।
“आओ आओ” … Read more >
२०
तथा राग
राधारानी को शरमाते देखकर चम्पकलता का दिल भर आया, और वह जमकर उनकी तरफदारी करने लगी । उसने कन्हैयाजु को डांट दिया ।
कान्हा, यह तेरी कैसी है रीत ?
तेरी बातों में आकर प्यारी बेच दिया … Read more >