गौरचन्द्र रसालस –
गोराचांद शयन-मन्दिर मे सोये हैं
विचित्र पलंग और सेज मनोहर है ।
गोरा नटराय का अलस अवश वह तनु,
हाय वह खूबसूरती, कैसे वर्णन करूं ?
बादलों से बिजली को जतन से छान,
अमित रस घोलके विधि किया निरमान ।
विचित्र तकिया, सेज अति मनोहर,
बासुदेब घोष देखे हर्षित होकर ।
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