७
राई को निरुपम सजाया कान,
देख धनी-मुख सजल हुये नयान ।
कक्खटी वानरी पेड़ पर ठहरी,
” जटीला आ गयी “, फिर से पुकारी ।
सुनकर दोनों के चमके चित,
वेश और गहने हुये विपरीत ।
भूलकर पीताम्बर लिया राई,
तुरन्त कुंज के बाहर जाई ।
तब नील ओढ़्नी ले चले कान,
उद्धव दास का फीका पड़ा बयान ।
————————————
बयान = बदन, चेहरा