कानन देवी ने किया इशारा समय जानकर,
बसन्त से कहा, ‘’सेवा करो होकर तत्पर’’ ।
शत शत मणिमय पिचकारी लाकर,
रखा कुंकुम – चन्दन जल भरकर ।
एक एक करके सखियां आईं,
शत शत कुसुम-गेन्द रचाईं ।
फूलों की वारि झारी भर लाये,
उसमें मृगमद जल मिलायें ।
श्याम उठाये जल-भरी पिचकारी,
देख कान्हाप्रिया जाये बलिहारी ।