गौरचन्द्र की झूलन-लीला –

 

सुरधूनी तीर पे आज गौरकिशोर,

झूलनरसरंग में हो गये विभोर

 

विविध कुसुम से रचकर हिन्दोला,

सभी सहचर गण आनन्द में डोला

 

झूल रहे गौरराय गदाधर संग,

उपजे कितने ही प्रेमतरंग

 

मुकुन्द, माधव, बासु , हरिदास मीत,

गोपी भाव में गावत रसमय गीत

 

नागर नदीया नगर में करत विलास,

रामानन्द देखन को करे अभिलास