गर्भपात जैसे अमानुषिक घोर महापाप के ऊपर हमारे धर्मशास्त्र क्या कहते है … आगे देखे… एवं इसे प्रचारित करे , ताकि इस कुकृत्य की रूपरेखा अगर किसी के दिमाग में चल रही हो तो वो इस महापाप से बचे — –
१ – ब्रह्महत्या से जो पाप लगता है , उससे दुगना पाप गर्भपात करने से लगता है … इस गर्भपात रूपी महापाप का कोई प्रायश्चित भी नहीं है … (पाराशरस्मृति ४ । २० एवं गरुण पुराण १५ । २०-२१ )
२ – गर्भपात करने वाली स्त्री का देखा हुआ अन्न तक नहीं खाना चाहिए एवं उससे बातचीत भी नहीं करनी चाहिए ….. (मनुस्मृति ४। २०८ एवं अग्निपूराण १७३।३३ )
३ – गर्भपात करने वाली स्त्री नमस्कार करने के योग्य भी नहीं रहती …(नारद पुराण २५। ४०-४१ )
४ – श्रेष्ठ पुरुषो ने सभी प्रकार के पापो का प्रायश्चित बताया है , पाखंडी और परनिंदक का भी उद्धार होता है , किन्तु जो गर्भ के बालक की हत्या करता है , उसके उद्धार का कोई उपाय नहीं है …… (नारदपुराण , पूर्व॰ ७ । ५३ )
५ – भ्रूण हत्या अथवा गर्भपात करने वाले रोध ,शुनीमुख , रौरव आदि नरको में जाते है …. (ब्रह्मवैवर्त पुराण ८५।६३ एवं विष्णु पुराण २।६।८ , एवं ब्रह्मपुराण २२।८ )
६ – गर्भ की हत्या करने वाला कुंभीपाक नरक में गिरता है , फिर गीध , सूअर , कोआ और सर्प होता है , फिर विष्ठा का कीड़ा होता है , फिर बैल होने के बाद कोढ़ी मनुष्य है ….. (देवी भागवत ९ । ३४ । २४,२७ – २८ )
८ – गर्भपात करने वाले की अगले जन्म में संतान नहीं होती … ( वृद्धसूर्यारण ११८७। १ )
गर्भ मे नवअंकुरित कोमल शिशु की हत्या करने वाला न इस लोक न और न ही उस लोक मे सुख पा सकता है …. न ही ऐसे पापी समाज की उन्नति हो सकती है … Radhe Radhe !