५
(शेखर राय)
आलियां[1] जागीं अलियों[2] के गान से,
चारों तरफ देखीं चकित नयनों से ।
चंचल चित्त से चलीं निकुंज की ओर,
कुसुम शेज पर दोनों सो रहे विभोर ।
विगलित[3] कुन्तल[4], विगलित वास,… Read more >
५
(शेखर राय)
आलियां[1] जागीं अलियों[2] के गान से,
चारों तरफ देखीं चकित नयनों से ।
चंचल चित्त से चलीं निकुंज की ओर,
कुसुम शेज पर दोनों सो रहे विभोर ।
विगलित[3] कुन्तल[4], विगलित वास,… Read more >
राधा-माधव रसालस –
१
(बलराम दास)
मिट गया चन्दन, टूट गये गहने, छूटे जूडे के बंधन,
वस्त्र स्खलित, कुसुम विगलित, काले[1] पडे दोनों मुख-चन्द्र ।
(२)
(राधा मोहन दास)
निशांत में जागे शचीनंदन, सुन भौंरे-कोयल के रव,
स्वाभाविक भाव में किया हुंकार[1], अन्दर उठा द्वितीय भाव ।
गौरचन्द्र रसालस –
गोराचांद शयन-मन्दिर मे सोये हैं
विचित्र पलंग और सेज मनोहर है ।
गोरा नटराय का अलस अवश वह तनु,
हाय वह खूबसूरती, कैसे वर्णन करूं ?
बादलों से बिजली को जतन से छान,
अमित रस घोलके विधि … Read more >