निशान्त-लीला (राधा-गोविन्द) – ४

(शेखर राय)

 

आलियां[1] जागीं अलियों[2] के गान से,

चारों तरफ देखीं चकित नयनों से ।

 

 

चंचल चित्त से चलीं निकुंज की ओर,

कुसुम शेज पर दोनों सो रहे विभोर ।

 

 

विगलित[3] कुन्तल[4], विगलित वास,Read more >

निशान्त-लीला (राधा-गोविन्द) – १, २, ३

राधा-माधव रसालस

(बलराम दास)

मिट गया चन्दन, टूट गये गहने, छूटे जूडे के बंधन,

वस्त्र स्खलित, कुसुम विगलित, काले[1] पडे दोनों मुख-चन्द्र ।

निशांत-लीला-१ (बासुदेब घोष)

गौरचन्द्र रसालस

 

 

गोराचांद शयन-मन्दिर मे सोये हैं

विचित्र पलंग और सेज मनोहर है ।

गोरा नटराय का अलस अवश वह तनु,

हाय वह खूबसूरती, कैसे वर्णन करूं ?

बादलों से बिजली को जतन से  छान,

अमित रस घोलके विधि Read more >