पुर्वान्ह लीला – श्री गौरचन्द्र


योगपीठाम्बुज से उतरकर गोरा,

ब्रज के स्मरण में  हो गये भोरा ।

 

जा कर बैठे वरान्दा में,

डूब गये ब्रज की याद में ।

 

भक्तगण देख रहे प्रभु का बयान,

स्वरूप ने  शुरु किया ब्रज-रस-गान ।

 

राधा-कृष्ण की वेश-भूषा इतनी मनोहर,

विभोर प्रभु हुए उस रस में डूबकर ।


ब्रज-लीला में प्रवेश किया भावाविष्ट-मन,

सभी भक्तगण हुए स्वरूप में मगन ।