योगपीठाम्बुज से उतरकर गोरा,
ब्रज के स्मरण में हो गये भोरा ।
जा कर बैठे वरान्दा में,
डूब गये ब्रज की याद में ।
भक्तगण देख रहे प्रभु का बयान,
स्वरूप ने शुरु किया ब्रज-रस-गान ।
राधा-कृष्ण की वेश-भूषा इतनी मनोहर,
विभोर प्रभु हुए उस रस में डूबकर ।