राई को देखकर जोश में आकर
मैया ने उठाया गोदी में,
चिबुक पकड़कर चुम्बन देकर
भीगीं आंसूवन में ।
राई रसवती करके प्रणति
मां यशोदा-रोहिनी को
प्यारी सखीगण छुपाकर वसन
दिया धनिष्ठा को ।
फिर दासीगण राधा के चरण
धुलाया शीतल जल से,
अति सुकोमल जैसे कमल
पोंछा मलमल से ।
रोहिनी माई के साथ रसोई
करने बैठीं राधाजी
सखियां मिलकर दे रहीं जुगार
शेखर दे रहा घी ।