शिंगार करत मदनमोहन

Radhe Radhe ! A sweet contribution from brother Shyamsundar das – 

Kanha doing shingaar for Radhaji

The finished look

ब्रज लिला अनुपम है
जो करे  नित्य लाल  आनदित
लाल ,रस राज, हर लीला को
किशोरी कहे , सजाओ केश मेरे
और बेठी , मोहन चरण समीप  
हाथ लिया , दर्पण देखने सजावट
लाल आसन बनायो , शिला को  
केश में है,  प्राण लाल के बसे
एक एक केश को , कनगन से सजावे
ध्यान राख्यो के,  कछू पीड़ा नहीं होई
करे अपने  को धन्य,  सेवा से आज 
देख रही बावरी बनी , लाल को मुख
भूल गई अपने को  , उनके प्रेम पर
हुई सजावट पूरी , रची एक चोटी
जो रही , लम्बी चरण तक लम्बी
 सजी सुंदर अभूसन ,  जो  एक
तिरछी नज़र से बार बार करे ध्यान लाल
कर बंसी राखी , धयान करे श्रृंगार का
आज वर्षभानु दुलारी पर्शन अति श्रृंगार  पर
श्यामसुन्दरदास    मन रहे सुंदर युगल  छब्बी