Mohan’s shringaar is mohan-shringar

Radhe Radhe – we have Vijay dada describing the beautiful shringaar of Mohan –

 

मोहन को श्रिंगार आज अनुपम हुआ
नख सिख सजायो बड़ा भरी
बिन राधा लाल न ऐसे सजे अद्भुत
पहनत नील वस्त्र संग राधा गोरी
नख सिख दोनों का सजाया गए
लाल की माधुरी ब्रज गोपीयो का करे वध
किशोरी का श्रिंगार निरख तो रह गयो
भानु दुलारी करे मोहन को बढावे मद
देख राधा लाल के नयन हुए  अति सुंदर
तिरछी नजरिया रहे राधा के कुंचो पैर
जो ढके मोतियों की माला से
सुंदर केश  श्रिंगार जो रत्नों से सजाये
चन्द्रिका की सोभा लाल मन समाई
राइ नयन में देख छबी अपनी  पुलकित रह्यो
मधुर अधर पे चोंच मार ने को व्याकुल
जैसे  लोभी तोता मारे मधु  आम्र को जूठा
बस न देख पायो श्री चरण जो प्राण आधार
सखिया कहे प्यारे करो मधर नाद मुरली को
और राधा नाम से करो हम को भी पावन
हर्षित हुआ मोहन डूब  गयो राधा गूनसागर
विजय्क्र्सना दास भी वारी गयो कोटि
 श्यामसुंदर दास रसमयी  सेवा से
        

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