ब्रज कुंजोकी , सुन्दरता अनुपम
वृन्दा सजाके , करे मोहित युगल को
विविध रंगबिरंगी ,अन्नेक पूष्प
जिसकी सुगंध करे , लाल को आकर्षित
कुञ्ज मुखरित किया शुक , सारिका और
नाना प्रकार के सुंदर पंछियो से
जो करे लाल की … Read more >
ब्रज कुंजोकी , सुन्दरता अनुपम
वृन्दा सजाके , करे मोहित युगल को
विविध रंगबिरंगी ,अन्नेक पूष्प
जिसकी सुगंध करे , लाल को आकर्षित
कुञ्ज मुखरित किया शुक , सारिका और
नाना प्रकार के सुंदर पंछियो से
जो करे लाल की … Read more >
Poem by my loving Vijay dada –
मोहन-लाल शोभे , लाल रंग में
और साथ रही, वृषभानु की लाली ।
दोनों ने धारण कियो , लाल वस्त्र
मद भरे नयन , दोनों के अनुपम।
Radhe Radhe ! In this poem Vijay dada has described the beauty of Brajdham.
ब्रज की सुन्दरता , देखि गिरिरा
Radhe Radhe – a poem by Vijay dada –
नाथ , बसे पश्चिम , और
जुलत मोहन अकेला
ब्रज में चन्द्र अनेक
Radhe Radhe ! ALL THIRTY-TWO ???? i asked Vijay dada- “are you sure ? i mean, the age is a bit less, don’t you think ?” He replied – “Arrey ! Aapne akkal daant ginaa ki nahin ?” Haan … Read more >
Radhe Radhe – once again, after a long time, a meditation by Vijay dada.
ननदुलाल सात साल का हुआ
आज खेलन को , ब्रज गलिन में निकलो
तो चतुर ब्रज बाला ने ,पकड़ लिया
Radhe Radhe !
A swet poem by Vijay dada – ननद भुवन का कोल्हाहल हुआ सांत भारी लाल को मीठी मीठी निंदिया भर आई , कमल नयन, नींद में न छोड़ी बांसुरिया मधुर नाद से, गूंजावत ब्रज की गलिया अति |