वर्ना चलती तेग पर सीना अड़ा देता है कौन ?
बहुत गौरी गजनी आये थे सवार आयत ए सैफ
देखने आये थे हिंदी तेग चमकाता है कौन ?
खून के दरया थे हर सू बह रहे सरहिंद में
माँ थी रोती अरबी बातिल को फना करता है कौन ?
ख़ाक करते थे बुतों को पैरों से वो बुतशिकन
होड़ सी थी हर्ब को इस्लाम कर देता है कौन ?
फिर कोई राणा शिवा तो कोई वैरागी उठा
गरजा हिंदी धरती पे तकबीर गुंजाता है कौन ?
है अभी तक हल्दीघाटी की फिजा में गूंजता
जंग में राणा के भाले से जो टकराता है कौन ?
पूछती हैं अब तलक भी अफज़लों की चीख ये
घर में आकर चीरने वाला शिवा आखिर है कौन ?
अशफाक बिस्मिल नाम थे दहशत के गोरों के लिए
लाश के आज़ाद की नज़दीक जा सकता है कौन ?
ख़्वाब में भी कौन हो सकता है सावरकर सा वीर
चलती कश्ती से समंदर कूद कर जाता है कौन ?
हम थे नादाँ गा रहे अब तक तराने बापू के
यह नहीं सोचा कि भारत माँ का भी बापू है कौन?
थक गए सुन सुन के आजादी मिली खड्गों बिना
देखना है बेसुरा नगमा ये हटवाता है कौन ?
कुछ दीवानापन सा हमको भी हुआ है अब सवार
देखना है बंसी रख रण शंख बजवाता है कौन ?