क्या करें
जब बन जाये मोहब्बत नासूर,
और पीप लगे बहने ?
हयात को मिटा दें,
या खुद को लगे मिटाने ?
क्या करें
जब मोहब्बत बन जाये चीज़,
व्यापारी और लूटेरों के आग़ोश में,
बने धर्म का इक्का
तमाशबीनों के हाथों में ?
क्या करें
जब बन जाये मोहब्बत नासूर,
और पीप लगे बहने ?
हयात को मिटा दें,
या खुद को लगे मिटाने ?
क्या करें
जब मोहब्बत बन जाये चीज़,
व्यापारी और लूटेरों के आग़ोश में,
बने धर्म का इक्का
तमाशबीनों के हाथों में ?