ऐसी पिलायी तुने साक़ी गोरा, कुर्बान हो चुके हम,
अब तक रहे जो बाकी, गोरा, अर्मान खो चुके हम ।
पहला ही गौर-जाम भरकर ऐसा हमें पिलाया,
सारी अक्ल-हुनर को गोरा, नादान खो चुके हम ।
तेरे मुकाबले का, गोरा, नहीं हुस्न है किसी का,
जलती हुई शमा पर गोरा, परवाने बन गये हम ।
बिल्कुल नहीं रहे अब गोरा, दुनियां के काम के कुछ,
बस अब तो तेरे दर के गोरा, मेहमान हो चुके हम ।
सौदा ही है ये ऐसा गोरा, किसकी समझ में आये ?
पीकर के खुद ही देखो गोरा, ऐलान कर चुके हम !
रहती हवस यह दिल में गोरा, भर भर के जाम पियें,
इन्कार तुम न करना गोरा, इक़रार कर चुके हम ।
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