Baghnapara

बाघनापाड़ा वर्धमान जिला में है | यहां जाने के लिए आपको बैंडेल - कटवा ट्रेन पकड़ना होगा । नवद्वीप से बाघनापाड़ा तीन स्टेशन दूर है । मंदिर जाने के लिए बाघनापाड़ा स्टेशन से बस या ऑटो ले सकते हैं । मंदिर विशाल एवं काफी ऊंचा है । मूल मंदिर में कानाई-बलाई (कृष्ण-बलराम) के विग्रह हैं । एक तरफ जगन्नाथ-बलदेव-सुभद्रा के विग्रह हैं, और दूसरी तरफ श्री राधारानी एवं बलराम-प्रिया रेवती विराजमान हैं । तीनों मंदिरों में अच्छी सेवा-पूजा होती है । रात में पुजारी जी राधारानी को कानाई के पास और रेवती को बलाई के पास शयन देते हैं ।


रामाई ठाकुर श्री जाह्नवा माता के पालित पुत्र थे । भक्तों को उनमे एवं वसुधा-माँ के गर्भजात पुत्र वीरचन्द्र प्रभु में कोई फर्क नहीं देखना चाहिए । दोनों श्री नित्यानन्द-संतान हैं एवं हर तरफ से समान हैं । जब जाह्नवा ठकुरानी काम्यवन के गोपीनाथ में लीन हो गयीं, तब रामाई ठाकुर रोते रोते लौट रहे थे । तब उनको यमुना जी से कानाई-बलाई मूर्ति प्राप्त हुईं । वे उन्हें लेकर भाल्लुका नदी के तट पर स्थित राधानगर आए । उस समय यहाँ घना जंगल था । जंगल में बाघ रहता था । जब भी रामाई ठाकुर संध्या-कीर्तन करते थे, तब वह बाघ आकर सुनता था । एक दिन कीर्तन सुनने के बाद बाघ उन्हें प्रणाम करके प्राणत्याग दिया । रामाई ठाकुर ने उस बाघ को वैष्णव जानकार उत्सव मनाया और उसे समाधि दी । उस समय से स्थान का नाम बाघनापाड़ा हो गया । यहाँ भगवान की सेवा-परिपाटी प्रशंसनीय है । विग्रह अतीव सुन्दर और मनमोहक हैं । पीछे के हिस्से में एक पुष्करिणी है । उसकी भी अलौकिक महिमा है ।

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