गोरा चले गो चराने

शचीनन्दन शचीदुलाल गोठ चले पगे पगे[1],

रोहिणी कुंवर निताइचांद आगे आगे भागे ।

 

नबद्वीप आज पहन लिया गोकुल का वेश,

लग रहा जैसे कि द्वापर का शेष [2]

 

सभी परिकरों ने काछा बांधा कसके,

भागे प्रभु के साथ राखाल वेश बनाके ।

 

श्रीदाम सखा अभिराम, गौ-वत्स लेकर चले,

सुबल हैं गौरीदास, तुरन्त दल में आकर मिले ।

 

‘’आबा आबा[3]’’ शोर से भर गया गगन ,

हंसते हुये देवगण देखें होकर मगन ।

 

नबद्वीप में होती है रोज़ ऐसी सुन्दर लीला,

प्रभु के पीछे पामर[4] बंशीदास भी चला ।



[1] पग चलकर

[2] जब श्री क्रुष्णचन्द्र का आविर्भाव हुआ था ।

[3] गौओं को बुलाने का तरीका

[4] पापी