गोपाल चले गोचारण को

राधे राधे
 
आज भोली ब्रजेश्वरी ने लाला को सुंदर सिंगर कियो
मोहन की माता ने पिली धोती छोट्टी पहनाई और केश को सुंदर चुड़ो बनायो
माता ने अपने आखों से काजल नीकाल के गाल पर लगाई
मेरे मोहन को हुआ बुआ से रक्षा करे जो लालो मेरो अति छोटो
सखा संग खेलन को चल दियो यमुना तट साथ में छोट्टी गैयाँ
माता ने कहाँ राम ध्यान करो अपने छोटे   भाई का जो प्राण प्यारो
मधुमंगल  श्रीदामा और विशाला चलो आगे और सुबाला विशाला चलो पीछे
राम   दांये चलो बांये महाबला सखा और साथ में अम्बिका ननद
मोहन को धुप से बचके रख्हियो और करो अपनी प्रीत की छाई
ब्रज में उगारों पैर सदा चले न देखत कंटक कंकरी और कोमल चरण
यही बात  सोची चैन न रहे जब तक आव्व्त बिना मोंच लगत
गोवर्धन  सिला   आती कठोर और जात गोउ के संग  चरावत
तनिक विश्राम करो तलेटी में भोजन बाद कदम्ब की छैया में सब
कृष्ण  अग्रज  तू गैया को गहेर के श्याम सखा संग ननद भवन चले आईओ
गरम रोटी , दूध , और बर्फी को वयंजन बने गो जो मोहन को मन को रुचि
रात में बड़े बाबा सन्मान दान करेंगे आज की गो चरण पर
विजय कृष्ण दास कहे ब्रज भूसन मोहन  तेरी कामना पूरण