Radhe Radhe !
Keshu came and lived with Neelu for a month. And Vijay dada understood the big secret……..
नीलू सखा संग गौ चारण चल दियो
वन जाने में मोहन को अति सूख मिल्यो
सखा विविध विचित्र बात और हास्य करने लगे
एक सखा बन से फूल तोड़ के लाला के कान पैर दियो
तो एक ने गूंजा माला मोहन के गले दियो होके हर्षित
बेनु बंसी बजाई रह्यो वृंदा भूमि बनी पुलकित
लालाजी के चरण से वृंदा हुई अंकित मधुर
वृक्ष लता ज़ूम के आरती मोहन की वृंदा ने किया
नए नए फूल फल प्रगट किये मोहन के भोग के लिए
शीतल समीर सुगंधित जो राधा के आँचल से बह रही
सुक पित गान करे के विविध गुण गान कर रहे
मोर केका केका स्वर सर नाच कर रहे चारो और
मोर पिंच को सखा ने मोहन के मूगाट्को सजायो
हिरन चकित नैन से मोहन को रूप देख रहे
भूल गयी त्रूण खानेको मोहन के रूप देख कर
वृक्ष आंसू बहा रहे और यमुना में जल हुआ उभर
आज खेल ते मोहन और आगे चल दियो
मिला एक गवालिया जो देख के मोहन हुआ चकित
जो मोहन का ही दूसरा रूप था नाम बताया केशु
बने सखा दोनों और नीलू ने केशु को आमंत्रित किया अपने भवन
मैया भी केशु देख हुई बावरी और दिया बड़ा भोग बहोय दिन तक
केशु और नीलू रहे संग थोड़े दिन रात और खेलते संग
केशु नीलू , नीलू केशु करते करते माता भूली दोनों में भेद
नीलू भोला और धीर जो न समजे केशु मन का भेद
केशु को बड़ी मीठी लगी नीलू की राधा की जो गोरी
केशु आब नीलू बन्यो राधा के रूप पयार देख के
केशु राधे संग बिहार कर रह्यो जो अति भोली न समजे भेद
माता भोली तू जिस केशु के लिए रो रही वोह तो नीलू है
विजय कृष्ण दास ब्रजरज की कृपा से यह भेद जान के रोई