Kunjeshwari Sri Radha

 


 

Kunjeshwari

राधे राधे 




 

Another post by Vijay dada –

 
आज कुञ्ज में सिंहासन पैर बेठी दुलारी
अति प्रसन लगत है वृषभानु नानादिनी
कोमल चरण है बिराजत है एक वेदी पैर
और एक रहे ब्रज भूमि पर जो आधार
सखी कड़ी चारो और रहत भी उलास
सुक पित मोर नाचत  गावत चारो और
राधा को बड़ा भागय आज मान्यो
कुञ्ज में पधारे मोहन जो संकेत था
न देर की आज श्याम हुआ बड़ो आनंद
किशोरी के चरण देख हुआ बड़ा पागल
रखदी बंसी भूमि पर जो बिराजत अधर सदा
भूमि पर बसी छोड़ी बेठो चरण पखारने
आंसू से धोके  पखार रह्यो करे चम्पी
अभिलास बड़ी  अन्नेक व्रत से हुई पूरी
दू पत्ता से रहत पोंछ लेत चरण रज माथे
जन्म जन्म बस बेठो रहू और निरखत रूप
किशोरी रही चकित मोहन के यही भावसे
सखिया विश्मयी बोले जय राधे जय राधे
ब्रज के कुंजो की लीला अति रसमय मधुर
ब्रजरज कृपा से हुई अंकित हरदय बड़ी
विजय्क्र्सना दास को हुई अरूण मंजरी कृपा