Radhe Radhe – this composition by Vijay dada brings out the colorful Braj and also the coloful Hero of Braj.
रंगों की होली है ब्रज मंडल में
रंग उड़ा रहे है चारो और भारी
रंगों की पिचकारी भींजा रही लाल को
एक लाल और सखा अनेक उनके
प्रेम की पिचकारी मोहन रोक न पाए
नयन बन्ध कर करो से रोकत
न दिखत काला और गौर और
न पिला , न हरा और लालम लाल
रंगे से रंग बे रंगी हुआ मोहन
रंगीलो मोहन रंगों से भर गयो
गूंगराले बाल की सोभा प्यारी
देख ब्रज गोपी हुई दंग और
आज मोहन का मधुर स्मित करे
हर्दय को करे पावन भावन
विजय क्र्सना दस कहे जरा डाल दे
ब्रज रज जो लाल को करे शीध्र वस्