ग्रीषम की गरमी ब्रज में अति भारी
यशोदा मात ने, धनिष्ठा सखी से बूल्वायो
एक दरजी जो ब्रज में रहत, नाम रौचिक
मोहन अन्ग माप जाने, जो शिव भ्रह्म न जाने
भाग्य बड़ो जो लाल के रचत अनेक वस्त्र
आयो नन्द भुवन, हर्षित कियो प्रणाम यशोदा को
पुन्य शाड्डी आत्मा, जो आयो लाल की सेवा में
रही गर्मी बड़ी भारी रचो सुन्दर वस्त्र लाल को
जो रहत अत्ति तन मन सुखदाई
लाल को देख भान भूल्यो , रह गयो दंग
बन्यो बावरो, लाल के तन की खुशबू से
मोहन अन्ग सपर्श से ,रह्यो अति पावन
बनवाई माता के आदेश से, आज मनोहर धोती
पतली छोटी धोती ,धारण कियो मोहन तन
रही मात अति सूखी जो लाल मन भाई
सुंदर दर्शन करी भानूजा दासी हुई बावरी
रौचिक is the tailor in krishna pastime as per Srla Roopgoswami in Sri Sri Radha Krishna ganoddesh Dipika book.
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