Another nice entry by our Vijay dada – all about Mother Jashoda shringaaring Neelu –
राधे राधे
आज लालजी सज रहे हे सिन्हान्सन पर
पित पीताम्बर धरी सज्यो सोड सिंगार
गले में सुंदर वैजती माला छोटी पहनाई
कमल जैसे नैन संवारे के जो प्रेम से भरे
काजल से नयन सजाये लालन के
अति मोहन मुसकाय रह्यो अधर खोलके
और भाल पैर बड़ो तिलक रच्यो चन्दन को
सुंदर कुंडल कान पैर चमकत डोलत रहे
गूंगाराले केश सुगंधित तेल से गूंथे
और छोटी सी चोटि में चमेली फूल डालो
पायल से सुंदर कोमल चरण सजाये
चम् चम् नाद सुनी श्याम हुआ आनंदित
रतन कंकन से गोपाल के हाथ सोभ रहे
अति प्रिय मोहन को देखत छबी अपनी निराली
गूंगरी को काले डोर से बांधके सजाई कमर को
हाथो में महेंदी की रचना की छोटे नील को
चन्दन केअसर गशी भाल लगायो शीतल करायो
तुलसी को कुञ्ज बना के मोहन को कियो अर्पण
नजर और बलाई ली गोविन्द के रक्षा की
व्रज को श्रिंगार निरालो जो ब्रजरज कृपा से फले
विजय कृष्ण दास गूँज की माला लेकर आयो भुवन