प्रगट भयो मोहन ब्रज में

राधे राधे

 

A nice entry fron Vijay dada –

प्रगट भयो मोहन ब्रज में ननद भवन
अति सुख दियो मात यशोमती गोद
ब्रजवासी  मोहन के रूप में दिन रात भूले
माधुरी ने ब्रज गोपीन को हरदय चीरो
मथुरा को राजा कंस बड़ो माथा भारी
जो मोहन को मामा लगे अईसे न जाने राज
हर दिन भेजत नया अशुर मर ने को नील
नील ने माखन खाके बड़ो बाला भर्यो बदन
दिन रात तोडत  सब को खिलौना समजकर
फिर भी कंस हरयो नहीं ग्यारह साल तक
मैया ने मूनी दुर्वासा से पाई कृपा  आब
नंदगांम असुर आये तो होगा पासन सरीर
एक असुर हुआ पासन का पावन  सरोवर
जो आया था मोहन को करे  परेशान
आज भी खड़ा है सरोवर के पास जो देखिये
माता की चिंता घटी जो मोहन हुआ निर्भर
केशु के पास भी खड़ा है दो हाउ देखी ये
विजयकृष्ण दास कहे  ब्रजरज कृपा से यह तो काष्ठ के है   
       
  

Keshu