Radhe Radhe ! This is a post on Raksha bandhan by Vijay dada.
राधे राधे
आज अस्ठ्मी भई है
बड़ी आन्नद में डोल रही है
जाउंगी बरसना जहाँ मातपित
और श्रीदाम प्यारे भाई
जटिल मात राजी हुई भेजने को
जो मिले न्गा बड़ा भेट किशोरीको
साथ दस हजार दूधवाली गैया आएगी
जो वचन दिया भानु महाराज ने
दूर से ही देखत ही हुई बावरी और दो डट
किशोरी देखत रोने लगी किर्तिदा मात
आई पुरानी सख्या जो रहत
बरसना धाम
राधा आलिंगन कर रोवत उंच स्वर से
तरशत रही दर्शन को बड़े दिन से
क्यूं भूली लालिको जो बड़ी ही तेरी गोद
और बाबा आप भी मेरी खबर न लेत
माता बोली विधाता दूषत बड़ा
ने रची नारी की तकदीर उलटी
ले गई महल अंदर और मिली छोटी बहना
देख गले लगाई जसे एक आत्मा दो सरीर
दो बहना के एक भाई श्री दाम जो बड़े प्यारे
और रहत सदा मोहन के संग खेलत बन
भइया को तिलक दियो भाल,बंधी राखी हाथ
दियो मिठाई मूह्मे और दिया सूभ वचन
दीप से आरती दिया जो करे सुभ मंगल
सुनके गद गद हूए श्री दाम और नयन आये नीर
मन ही मन रक्षा का वचन दिया और लगे गले
बहना आज फिर आनद हुआ तेरा सूभ चरण देख
रहो यहाँ और खेलो सखीय संग जो प्यारी
चारो और सुवरण परकाश फ़ैल गया
किशोरी अपना महल गयी जहाँ न कोई रोकटोक
मन फिर भी श्याम को धुन्धता रहा जो
आसन रहेंगा मिलन को यावत से जयादा
जहाँ न कोई प्रवेश नर को जो बाबा ने रखा
श्याम किस रीती से आयन्गे जो पहरा चारो और
विजय क्र्स्नादास ब्रजरज कृपा से कहे
श्याम ब्रज नारी को श्रिंगार कर पधारेंगे JO SADA TALSHAT