Another sweet contribution from Vijay dada:
चित्र विचित्र अहो
चित्र चित्र अहो आहा विचित्र
पित रंग को पाग साथ रकत रंग मिलायो
सुंदर पाग रची जो आहिर जात सोभे
अनेक मोर पिंछ मनोहर लगाये देखत सुंदर
राख्यो पाग मध्य नीलमणि को बड़ो
जिनकी चमक ओर सजावे लाल को पाग
बांये ओर रखी श्याम मोतियन माला
जो किशोरी मन लूभावत भारी
दक्ष नाम श्याम का तोता रह्यो दंग
जो रहयो एक पल भानुजा की हथेली
पित्त वस्त्र सोभत दोनों को जो कलात्मक
रही आज लाल के कर रत्न जडित मुरली
जूकी गर्दन भोली भाली की ओर भारी लाल की
अति आन्दित बनी नाम भर्यो श्री राधे
मधुर अति मधुर जो भायो नन्दलाल
विजयक्र्सना दास कहे करो मोहन
लालन पालन कोटि कोटि जगत को
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