Radhe Radhe !
A swet poem by Vijay dada – ननद भुवन का कोल्हाहल हुआ सांत भारी लाल को मीठी मीठी निंदिया भर आई , कमल नयन, नींद में न छोड़ी बांसुरिया मधुर नाद से, गूंजावत ब्रज की गलिया अति मधुर रूप निंद्रा को , सब को मोहत देख अंखिया नीर बहावे, सुध बुध बिसरावत । मोहन को स्वपन , आज आयो मिठो री देखि गोरी गोप कन्या, चलत घुटन बल री । मीठी मधुर, तोतली बाते लाल को पूछत न सम्ज पावे एक, करे अति उन्मादित । सोचे मातको बताऊँगा, यही दुल्हन लावे जो भुवन उजरों करे, और संग सदा रहे । जानि लाल मन ,हंसी अति भारी गोप कन्या न समजे भेद , देखत सोचत डूबयो रूप-लावन्या । विजय्क्र्सना दास, भेद हंसी को जानत, गोरी और काला का , जो मेल होन्गा अदभुत ।
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5 thoughts on “ssssssssssssssss…………..jara choop bhi karo re baba”