अटरिया पर सुन्दर बगीचा है । उसके बीचोबीच मैं आसन बिछाऊँगी । तुम सखियों के साथ खूशी से उसपर बैठोगी । कब वह दिन आएगा जब तुम्हारे मुख में ताम्बूल अर्पण करूँगी और तुम्हारे चरणों को वक्ष में धरकर संवाहन … Read more >
अटरिया पर सुन्दर बगीचा है । उसके बीचोबीच मैं आसन बिछाऊँगी । तुम सखियों के साथ खूशी से उसपर बैठोगी । कब वह दिन आएगा जब तुम्हारे मुख में ताम्बूल अर्पण करूँगी और तुम्हारे चरणों को वक्ष में धरकर संवाहन … Read more >
अहा गान्धर्विके ! व्रजेश्वरी चंदनकला को तुम्हारे पास भेजेगी । वह आकर कहेगी,” जल्दी से गोविंद के लिए शाम का भोजन प्रस्तुत करो । माता ने वटक बनाकर भेज कहा है ।“ उसके सुमधुर बातों को सुनकर, तुम तुरंत पलंग … Read more >
ऐसे ही वक्त पर मधुमंगल वहाँ पर आकर कहेगा – ” मैं तुम दोनों का सुख भंग तो नहीं करना चाहता, लेकिन वह पापी जटिला आ रही है । हाय , मैं क्या करूँ ? और ये मुखरा तो पास … Read more >
चित्रा के विचित्र कुंज में एक चित्र-मणिवेदी है । उस पर मैं चित्रासन बिछाऊँगी । नागर चतुर हैं, तो राधारानी भी चतुरा हैं । दोनों प्रसन्न होकर वहाँ बैठेंगे । उनके चारों तरफ़ सूचतुरी पंछियाँ होंगी । वृंदा देवी पासें … Read more >
विशाखा कुंड के इशान कोने में मंजुलाली का कुंड है । हे धनी, वहाँ तुम नागर के साथ छुप्पा छुप्पी खेलोगी । हे प्राणेश्वरी,
५५
शारी-शुक का वर्णन
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कब वह शुभ दिन आएगा जब मै गुणमंजरी के पीछे पीछे निकुंज में प्रवेश करूँगी ? नागर और नागरी लीला के परिश्रम से थक कर सोए रहेंगे । उनका दर्शन करके मेरा हृदय तृप्त होगा … Read more >
४८
अहा श्याम गौरी ! मैं धीरे धीरे बड़े जतन से तुम्हारे अंगों का भूषण खोलूँगी । दोनों को पतले वस्त्र पहनाऊँगी, ताकि तुम जलकेलि के लिए जा सको । कब वह शुभघड़ी आयेगी जब कृष्णदास तेल और आँवला लेकर … Read more >
४२
गोविन्द का वेश तो देखो ! उनकी बाँईं तरफ फूलों का धनुष है और उसमें पुष्प-बाण भी जड़े हुए हैं । दाँये हाथ में मणिमय पिचकारी पकड़े हुये हैं । अहा !! ऐसे दिख रहे हैं जैसे कि दस-बाण … Read more >
३९
गर्मी और बरसात के मौसम कितने मधुमय होते हैं । पेड़ और लताएँ , फल और फूलों से झुक जाते हैं । श्री कुण्ड के तट पर पेड़ खिल उठते हैं और सुन्दर दिखने लगते हैं । तोते और … Read more >
३५
इसके बाद वृन्दा तुम दोनों के चरणों में सकरुण निवेदन करेगी । वृन्दा कहेगी, “ छः ऋतुओं ने मुझे भेजा है । हे प्राणेश्वरी, तुम ध्यान से सुनो । उन्होंने विनती की है कि राधा-कृष्ण सखियों के साथ आकर … Read more >