Special shingaar for Nandalal

 

 

 

 

 Radhe Radhe – once again, after a long time, a meditation by Vijay dada. 

ननदुलाल  सात साल का हुआ 

आज खेलन को , ब्रज गलिन में निकलो 
तो चतुर ब्रज बाला ने ,पकड़ लिया 

नवनीत दिखा कर , 
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ssssssssssssssss…………..jara choop bhi karo re baba


Radhe Radhe !


A swet poem by Vijay dada –



ननद भुवन का कोल्हाहल हुआ सांत भारी

लाल को मीठी मीठी निंदिया भर आई ,

कमल नयन, नींद में न छोड़ी बांसुरिया

मधुर नाद से, गूंजावत  ब्रज की गलिया

अति 

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Sri Sri Radha-Gokulananda’s Summer Darshan

ग्रीषम की गरमी ब्रज में अति  भारी
यशोदा मात  ने, धनिष्ठा सखी से बूल्वायो
एक   दरजी जो ब्रज में रहत, नाम रौचिक
मोहन अन्ग माप जाने, जो शिव भ्रह्म  न जाने
भाग्य बड़ो जो लाल के रचत अनेक वस्त्र
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Sri Sri RadhaGokulananda (Red Antique)

व्रज धाम शोभा प्यारी
जो गूंजत शुक पीत भ्रमर मोरन से
कदम्ब  और तमाल  यमुना तट से सजे
गोवर्धन मध्य में  सदा ब्रजवासिन सुखकारी
राधाकुंड और श्याम्कुंड गिरिराज को नयन
जहाँ  श्यमाश्याम  रहत हरखत मिलन से
आज पधारे दोनों श्री 
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Sri Sri Radha Gokulananda ju in Kundan shringar

Radhe Radhe !! Another nice entry from Vijay dada –


गोरी राधा  संग पायके मोहन सोभ गयो
जैसे मोहन अन्ग सोभ गयो सुभ्र वस्त्र
नख सिख कालो लाल तो राधा रही गोरी
अभूसन रत्न और मोती के रहे अंग दोनों
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Arun charan (Rosy feet)

Radhe Radhe !

Vijay dada writes –

श्याम  है मोहन
तो अरूण चरण करे मोहित
शोभित सुंदर नूपूर से जो अरूण
नूपुर जन्कार से रहे ब्रज गली गूंजत
जो अमृत बन के रहे करणों में
मोहन की गज गति चाल 
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Radha aur Mohan saje sundar

Radhe Radhe !

This poem is by Vijay dada.

मोहन राधा
राधा और मोहन सजे  सुंदर
श्याम  रंग मोहन  तो गोरी  भानु दुलारी 
छलिया गोपाल तो भोली राधा
काली अमास पूर्ण चन्द्र  से शोभित
संग शोभित  रही सखिया तारे सम
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