Sri Sri Radha-Gokulananda’s Summer Darshan

ग्रीषम की गरमी ब्रज में अति  भारी
यशोदा मात  ने, धनिष्ठा सखी से बूल्वायो
एक   दरजी जो ब्रज में रहत, नाम रौचिक
मोहन अन्ग माप जाने, जो शिव भ्रह्म  न जाने
भाग्य बड़ो जो लाल के रचत अनेक वस्त्र
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Sri Sri RadhaGokulananda (Red Antique)

व्रज धाम शोभा प्यारी
जो गूंजत शुक पीत भ्रमर मोरन से
कदम्ब  और तमाल  यमुना तट से सजे
गोवर्धन मध्य में  सदा ब्रजवासिन सुखकारी
राधाकुंड और श्याम्कुंड गिरिराज को नयन
जहाँ  श्यमाश्याम  रहत हरखत मिलन से
आज पधारे दोनों श्री 
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Sri Sri Radha Gokulananda ju in Kundan shringar

Radhe Radhe !! Another nice entry from Vijay dada –


गोरी राधा  संग पायके मोहन सोभ गयो
जैसे मोहन अन्ग सोभ गयो सुभ्र वस्त्र
नख सिख कालो लाल तो राधा रही गोरी
अभूसन रत्न और मोती के रहे अंग दोनों
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Arun charan (Rosy feet)

Radhe Radhe !

Vijay dada writes –

श्याम  है मोहन
तो अरूण चरण करे मोहित
शोभित सुंदर नूपूर से जो अरूण
नूपुर जन्कार से रहे ब्रज गली गूंजत
जो अमृत बन के रहे करणों में
मोहन की गज गति चाल 
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Radha aur Mohan saje sundar

Radhe Radhe !

This poem is by Vijay dada.

मोहन राधा
राधा और मोहन सजे  सुंदर
श्याम  रंग मोहन  तो गोरी  भानु दुलारी 
छलिया गोपाल तो भोली राधा
काली अमास पूर्ण चन्द्र  से शोभित
संग शोभित  रही सखिया तारे सम
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Sri Sri Radha Gokulananda – This Week “Sringar”

Another sweet contribution from Vijay dada:



चित्र विचित्र  अहो
चित्र चित्र अहो आहा विचित्र
पित रंग को पाग साथ रकत रंग मिलायो
सुंदर पाग रची जो आहिर जात सोभे
अनेक  मोर पिंछ  मनोहर लगाये  देखत सुंदर
राख्यो पाग मध्य नीलमणि
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Mohan’s shringaar is mohan-shringar

Radhe Radhe – we have Vijay dada describing the beautiful shringaar of Mohan –

 

मोहन को श्रिंगार आज अनुपम हुआ
नख सिख सजायो बड़ा भरी
बिन राधा लाल न ऐसे सजे अद्भुत
पहनत नील वस्त्र संग राधा गोरी
नख सिख
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Braj has a pink sky !

Radhe Radhe – this composition by  Vijay dada brings out the colorful Braj and also the coloful Hero of Braj.

 

रंगों की होली है ब्रज मंडल में 
रंग उड़ा रहे है चारो और भारी
रंगों की पिचकारी भींजा रही लाल
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holi khelan aayo shyam , bhar bhar pichkari maro shyam ko

 

 

Radhe Radhe !

This is a loving composition by our beloved Vijay dada –

 

ब्रज रंगों से भर रहा है
रंग के बादल  चारो और
यमुना भी हुई  रंगीली जो कालि 
और ब्रज की गलिया जो टेडी मंदी
रंगों से
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