गौरचन्द्र – भोजन तथा वेश-भूषा

करके पिछ्ली यादें  , प्रभु विभोर हुये,

पार्षदों को लेकर प्रभु भाव में डूब गये ।

 

जब प्रभु का हुआ भाव-अवसान,

तब सेवा में जुट गये सेवक-गण ।

 

निताईचांद और प्यारे भकत गण

चारों तरफ बैठकर देखें गौर-चांद-वदन

 

विविध भोजन शची माता लायीं,

स्नेह से भरकर सबको खिलायीं ।

 

माता को खुश करने प्रभुने किया भोजन,

सब प्रसाद पाकर किया आकण्ठ-पूरण ।

 

भोजन समाप्ति के बाद किये आचमन,

कर्पूर ताम्बूल दिये प्यारे दासगण

 

अनुपम गौरांग का भोजन-विलास,

कब सेवा करेगा यह बलराम दास ?