प्रातः लीला – नन्दालय के पथ पर श्री राधा

सुन्दरी राधा सखी संग जाई,

नन्दालय के पथ पर लेकर बधाई ।

 

नाज़नीन के नैन कजरारे,

ओढ़कर रतन-पट अंग उजियारे ।

 

दांतों की ज्योति से मोती शर्माये,

हंसते ही मणि खिसक आये ।

 

क्ञ्चन वरण देख किरण छुप जाये,

वचन ऐसा कि कोयल चौंक जाये ।

 

कर-पद-तल स्थल-कमल सम लाली,

चरणों में  बाजे मञ्जीर सुरीली ।

 

गोविन्द कहे – रमणी शिरोमणि ने आज,

मात दे दिया मन्मथ-राज ।