करके पिछ्ली यादें , प्रभु विभोर हुये,
पार्षदों को लेकर प्रभु भाव में डूब गये ।
जब प्रभु का हुआ भाव-अवसान,
तब सेवा में जुट गये सेवक-गण ।
निताईचांद और प्यारे भकत गण
चारों तरफ बैठकर देखें गौर-चांद-वदन
विविध भोजन शची माता लायीं,
स्नेह से भरकर सबको खिलायीं ।
माता को खुश करने प्रभुने किया भोजन,
सब प्रसाद पाकर किया आकण्ठ-पूरण ।
भोजन समाप्ति के बाद किये आचमन,
कर्पूर ताम्बूल दिये प्यारे दासगण
अनुपम गौरांग का भोजन-विलास,
कब सेवा करेगा यह बलराम दास ?