राई को देखकर जोश में आकर
मैया ने उठाया गोदी में,
चिबुक पकड़कर चुम्बन देकर
भीगीं आंसूवन में ।
राई को देखकर जोश में आकर
मैया ने उठाया गोदी में,
चिबुक पकड़कर चुम्बन देकर
भीगीं आंसूवन में ।
राह में गुज़रते वक़्त नैन हुये चार,
दिल को मिला चैन, आंखों में ख़ुमार ।
सुन्दरी राधा सखी संग जाई,
नन्दालय के पथ पर लेकर बधाई ।
ऐसी ही हैं ब्रजेश्वरी उन्हें मालूम नहीं चातूरी
वे ठहरीं परम उदार,
आप कड़वी बातें कहेंगी तो वे अभी भूल जायेंगी
और करेंगी आपसे प्यार ।
करके सोलह सिंगार हुई खुश अपार
देख कर अपना रुख़,
कृष्ण अधरामृत पाकर हर्षित
हुआ परम-सुख ।
एकान्त में बैठे गोराराय,
पांव से सर तक पुलक से पूरित
प्रेम-धारा बह जाय ।
१
हिरण्यांगी सखी आयी उसी क्षण,
राई कहे – कहां से हुआ आगमन ?
तब सखियां राधा के दिल को किया शान्त ,
सुनाकर श्याम-बन्धुआ के गुण-गान अनन्त ।
७
( यशोमती मैया कन्हैया से कह रही है ) –
“राम का नील वसन क्युं पहनते हो?
सुरज उठा क्युं नहीं जगते हो?
ओ ब्रजकुल चान्द, लूं तेरा बलैया ।“
अंग-विभंग कर तन को मोड़ दिया ।[1]
“क्या … Read more >
४
अन्दर की बात कह रही हूं मैं फिर से फंस गयी हूं
उसने जो डाला प्रीत का फन्दा,
रात-दिन रोती रहती हूं सिर्फ यही सोचती रहती हूं
ध्यान में श्याम-मुख-चन्दा ।
दिल पे दिल, प्रेम ऐसा है आंखों में … Read more >