३
राग मायुर
कमल-कुसुम सुकोमल कान्ति,
सर पे मोर-पंख की पंक्ति ।
आकूल अलि[1]-कुल बकुल की माला,
चन्दन चांद-चर्चित भाला[2] ।
मदन मोहन मूर्ति कान्ह[3],
देख उन्माद हुये युवती-प्राण ।
भौं-विभंगिम[4] दे हिचकोले,
उन्नत नासा पे मुक्ता डोले ।
बंकिम ग्रीवा, मीठा बोले,
कंचन-कुंडल गाल पे डोले ।
मणिमय आभूषण अंग पे विराजे,
पीत निचोल[5] उस पर सजे ।
अरुण-चरण पे मणि-मंजीर सोहे,
गोविन्द दास को और[6] न भाये ।