मैया किशोरी जु को सजा रहीं हैं

ओ लाली मेरी            प्यारी दुलारी

        कहकर जसोदा सजाये,

चमकीले लट               काले घन-घट,

        संवारकर वेणी बनाये ।

 

कितने दिनों की आस             आज बुझाये मैया प्यास

               हाथों से राधा को सजाये,

पहिनाये नवीन वसन            और कीमती भुषण,

               प्यारी को पुचकारती जाये Read more >

मधुमंगल सखा

 

 

आवत रे मधुमंगल की टोली,

देख सखागण बजाये ताली ।

 

चलते ही चरण पड़े तीन बंक[1],

पग कलंकित कालिन्दी-पंक[2]

 

बोलते ही मुख पर करे कितने भंग[3],

नाचे ज़ोर से और Read more >

Softer than lotus

राग मायुर

 

कमल-कुसुम सुकोमल कान्ति,

सर पे मोर-पंख की पंक्ति ।

 

आकूल अलि[1]-कुल बकुल की माला,

चन्दन चांद-चर्चित भाला[2]

 

मदन मोहन मूर्ति कान्ह[3],

देख उन्माद हुये युवती-प्राण ।

 

भौं-विभंगिमRead more >

Sri Krishna’s Beauty

राग सिन्धुड़ा

 

अंजन-गंजन[1]       जग-जन-रंजन[2]

जलद-पुंज जैसे वर्ण,

तरुण-अरुण-स्थल-       कमल-दल-अरुण[3]

मंजीर-रंजित-चरण ।

 

देखो सखी नागर-राज करे विराज,

सुधा-रस टपके,      हास विकसित,

रूप ऐसा कि चांद को आये लाज ।

 

इन्दीवर-वर-        गर्व-विमोचन[4],

लोचन मन्मथ-फन्दा,

भौं-भुजग-पाश[5]Read more >

Gour-virahini Priyaji

३५

जन्म से मैंने,       गौर-गर्व में बिताया,

फिर कैसे जिऊं इतना दुख सहकर ?

उर बिना सेज का,       स्पर्श ना जानूं[1],

सो तन अब लोटे ज़मीन पर ।

 

वदन-मण्डल,       चांद झिलमिल,

सो अति सुन्दर चेहरा,

लगता है ऐसे,      Read more >

Priyaji’s viraha

३४

(प्रियाजी कहती हैं)

गौर-गर्व[1] में हाय,        जीवन बिताया,

अब वे हुये निर्मम[2],

अपनों के वचन,     गरल सम लागे,

गृह हुआ अग्नि सम[3]

 

याद कर उनका मुख,     दिल फटा जाये,

शूल चूभे वक्ष में,

गौरांग Read more >

Love making of Sri Gouranga and Bishnupriya devi

३३

ठाकुर लोचन दास ने “श्री चैतन्य मंगल” में श्री गौर-गोविन्द की नित्य-लीला का सम्भोग लीलारंग इस तरह से वर्णन किया है –

 

शयन मन्दिर में सो रहे हैं नागर,

विष्णूप्रिया गयीं ताम्बूल थाली लेकर ।

 

“आओ आओ” Read more >

Nishanata Leela 20

२०

तथा राग

 

राधारानी को शरमाते देखकर चम्पकलता का दिल भर आया, और वह जमकर उनकी तरफदारी करने लगी । उसने कन्हैयाजु को डांट दिया ।

 

कान्हा, यह तेरी कैसी है रीत ?

तेरी बातों में आकर प्यारी बेच दिया Read more >

Nishanta Leela 19

१९

तथा राग

प्राणप्यारी राधारानी के प्रति श्यामसुन्दर की कपटता भरी शिकायतें सुनकर चित्रा सखी को बड़ा मज़ा आया । उसने कन्हैया जी की बातों पर अपनी तरफ से व्यंग्य-रस का रंग चढ़ाया । उसने कहा – “हां, हां, सच Read more >

निशान्त लीला १८

१८

तथा राग

ललिता ने इतनी बड़ी तोहमत लगाई है कि किसी भी सज्जन के लिये चुप रहना नामुमकिन है । कन्हैया जी इसका करारा जवाब देते हैं । वे कहते हैं – मैं बिल्कुल निर्दोष हूं ! ललिते, क्या Read more >