सुन्दरी राधा सखी संग जाई,
नन्दालय के पथ पर लेकर बधाई ।
सुन्दरी राधा सखी संग जाई,
नन्दालय के पथ पर लेकर बधाई ।
१
हिरण्यांगी सखी आयी उसी क्षण,
राई कहे – कहां से हुआ आगमन ?
इधर वह किंकरी, राधा का उत्तरी[1] पीतवास खींच लिया,
झट से नीलाम्बर राधा के वक्ष पर तेज़ी से डाल दिया ।
विशाखा-वचन सुन मुखरा उस क्षण हुई लज्जित अति,
मुझे बहुत काम है, फालतु वक्त किसे है ? कहकर … Read more >
५
(शेखर राय)
आलियां[1] जागीं अलियों[2] के गान से,
चारों तरफ देखीं चकित नयनों से ।
चंचल चित्त से चलीं निकुंज की ओर,
कुसुम शेज पर दोनों सो रहे विभोर ।
विगलित[3] कुन्तल[4], विगलित वास,… Read more >