तुलसी वहां आकर बताये सब खबर
सुनकर सुवदनी हरषाये,
राई कण्ठ में ललिता पहिनाये गुंजा-मालिका
कानों में चम्पक दिये ।
श्री कृष्ण का अंग-गंध पसारे महा सुगन्ध
राधारानी हो गयी मोहित,
सखियों से पुछये “बताओ कोई उपाय
कैसे मिले नागर-धीर-ललित ?”
यह राधा-दासी कहे, ‘’ रखो दिल में छुपाये,
कानों कान न हो खबर,
यह राज़ है अपना किसीको न बताना,
जल्दी मिलेंगे तुम्हें नागर ।‘’