श्री गौरचन्द्र गोठ में जाने के भाव में



शचीनन्दन गोरा करे कितना प्यार

‘’धवली’’ ‘’शांवली’’ बोल पुकारे बार बार ।

 

समझकर उनका भाव नित्यानन्द राय

शिंगा का शबद मुंहसे बजाये ।

 

निताइचाँद से पाकर यह शिंगा-निशान,

भकतगण हुये प्रेम में अज्ञान ।

 

भागकर आये पण्डित गौरीदास सुनाम,

‘’भैया’’ ‘’ भैया’’ बोल के भागे अभिराम ।

 

देखकर गोरा-रूप हुआ प्रेम-आवेश,

चुड़ा, मोर-पंख और नटवर-वेश ।

 

चरणों में नुपूर सोहे, अंग पे चन्दन,

वंशीवदन से हांके, ‘’ चलो गोवर्धन’’ !