मोहब्बत है बेपनाह

Radhe Radhe !
शान ए वतन से हमको मोहब्बत है बेपनाह

वर्ना चलती तेग पर सीना अड़ा देता है कौन ?

बहुत गौरी गजनी आये थे सवार आयत ए सैफ

देखने आये थे हिंदी तेग चमकाता है कौन ?

खून

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चरनन रज माँगत

 

 

Sri Sri Radha Raman jiu

छबीले, मुरली नैक बजाउ।
बलि बलि जात सखा यह कहि कहि, अधरसुधा रस प्याउ ॥

दुरलभ जनम लहब बृंदाबन, दुरलभ प्रेम तरंग।
ना जानिए बहुरि कब ह्वै है स्याम ! तिहारौ संग ॥

बिनती Read more >

ब्रज की सुन्दरता , देखि गिरिराज ललचायो

Radhe Radhe ! In this poem Vijay dada has described the beauty of Brajdham.

 

ब्रज की सुन्दरता , देखि गिरिराज ललचायो

रह्यो ब्रज में छोड़ी , साथ अग्त्श्य रुषिको  आज
रूप विस्तारी ,खुदको मोहित करे ब्रजजन को
मोहन 
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