सुनकर तुलसी के वचन सखियां हुयीं प्रसन्न
चली करने सुर्य-पूजन,
विधि के अगोचर ऐसे उपहार लेकर
पूज-तैयारी में हुयीं मगन ।
चीनी फिरनी केला मक्खन और रसाला
रेवड़ी कदम्ब तिला,
पूरी पूआ खाजा पेड़ा और सरभाजा,
राधा ने बनाया रसीला ।
अमृत-केलिका और मीठे लड्डुका
घी में मूंग-झूरी,
देवता-पूजन को किया जतन,
लिया शक्कर-खारी ।
भरके बरतन में अगुरु-चन्दन,
और खूश्बूदार माला,
अतुल अमूल कर्पूर ताम्बूल
सजाये सभी बाला ।
संगिनी रंगिनी रूप-तरंगिनी
जा बैठी बैठक माहि,
मदन-मोहन के मन को हरन
करने को सजी राई ।
शेखर ने देखा वक़्त जा रहा,
सबको किया जल्दी,
जटीला के चरण को करके नमन,
सब सखियां चलीं ।