ओ लाली मेरी प्यारी दुलारी
कहकर जसोदा सजाये,
चमकीले लट काले घन-घट,
संवारकर वेणी बनाये ।
ओ लाली मेरी प्यारी दुलारी
कहकर जसोदा सजाये,
चमकीले लट काले घन-घट,
संवारकर वेणी बनाये ।
योगपीठाम्बुज से उतरकर गोरा,
ब्रज के स्मरण में हो गये भोरा ।
५
वृन्दा के इशारे पर वानर और वानरी आकर कहेंगे, “ हे सुन्दरी, सुनो सुनो , वह बूढ़ी अम्मा आ रही है ।” यह सुनकर धनी गिरिधारी के हाथ पकडकर, कुंज से जल्दी बाहर आ जाएगी । अपने मुँह से … Read more >
३
वृन्दा के इशारे पर सभी पक्षी शोर करेंगे । हे सुवदनी, शुक और शारी के वचन सुनकर तुम जाग कर बैठ जाओगी । मेरे धनी, तुम पीताम्बर से अपने अंग को ढंककर, नागर के पास जाकर बैठ जाओगी । … Read more >
श्रीवास प्रांगन में मेरे गौरकिशोर प्रेम में मगन होकर नाचेंगे, और राधा भाव में विभोर हो जाएँगे । दोनों प्रभु – नित्यानंद और अद्वैत – उनके दोनों तरफ नाच रहे होंगे ।
नवद्वीप
श्रीवास प्रांगण मध्यस्थः स्वापि भक्त गणैः सः
कदा पश्यामि गौरांग तव क्रीडित माधुरी |
निशांते गौर चंद्रस्य शयनाञ्च निजालये
प्रातः काल कृतोत्थान स्नानं तत्भोजनादिकम ।।
Radhe Radhe !
Mann Bajaj, my friend, sent me this one. i wish i could love my Beloved Krishna in the same manner.
My wife called, ‘How long will you be with that newspaper? Will you come here & make … Read more >
पीताम्बर घनश्याम द्विभुज सुन्दर,
कण्ठ में वनमाला, गुंजे मधुकर ।
शची मां कितने ही भुषणों से
सजा रही हैं गोराचांद को प्यार से ।
करके पिछ्ली यादें , प्रभु विभोर हुये,
पार्षदों को लेकर प्रभु भाव में डूब गये ।