श्री गौरचन्द्र का मधुपान के भाव में खो जाना

 

सहचर संग गौरकिशोर,

मधुपान-भाव-रस में हुये विभोर ।

 

क्या कहना चाहे और क्या बताये,

यह तो कोई समझ ही ना पाये ।

 

प्रभु के रूप में कुछ बदलाव आये,

देखकर भकतगण विभोर हो जायें ।

 

डोल रहे अलसित अरुण नयन,Read more >

प्रेम-वैचित्ति

 

भ्रमत गहन वन में जुगल-किशोर,

संग सखीगण आनन्द-विभोर ।

 

एक सखी कहे, “देखो देखो सखियन,

कैसे एक दूजे को देखें, अपलक अंखियन !’’

 

पेड़ हैं पुलकित, खुशबू[1] पाकर भ्रमर-गण

उनकी ओर[2] भागे त्यज फूलों का वन ।

 

दोनों Read more >

श्री श्री राधा-कृष्ण के कुसु्म-चयन

झूले से उतरकर देखा गोपियों ने

                कि अब हो गयी है बेला

फूल तोड़्ने को चले जल्दी

                सभी आभीर-बाला ।

श्री गौरचन्द्र का वन में भ्रमण

 

कांचन कान्ति कोमल कलेवर, विहरे सुरधूनी कूल,

तरुण तरुण तरु देखकर तोड़े कुन्द करबी के फूल।

 

सभी समवय सखा-संग सरस रभस रंग में भोर,

गजवर-गमन को गंजये गति मन्थर, प्रेम-रस विभोर 

 

गदाधर को ले गोदी पर, अपरूप गौरांग के रंग,Read more >

झूलन-रंग में मतवारे राई-कानू

 

राधा-कुण्ड के पास         जब वर्षा करे हास

                और बकुल कदम्ब झूमे,

हर दो शाख पर हिन्दोला         रतन-डोरी की माला

                बीच बीच में मुक्ता चूमे ।

 

पंखुड़ियों को चूरन कर             पतले वस्त्र में भरकर,

                सखियों ने बनाया तकिया,

पट्टे के ऊपर Read more >

Radharani celebrating Rakhi

Radhe Radhe ! This is a post on Raksha bandhan by Vijay dada.

राधे राधे
 
आज अस्ठ्मी  भई है
बड़ी आन्नद में डोल रही है
जाउंगी बरसना जहाँ मातपित
और श्रीदाम प्यारे भाई
जटिल  मात राजी हुई भेजने को
जो
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