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वृन्दा के इशारे पर सभी पक्षी शोर करेंगे । हे सुवदनी, शुक और शारी के वचन सुनकर तुम जाग कर बैठ जाओगी । मेरे धनी, तुम पीताम्बर से अपने अंग को ढंककर, नागर के पास जाकर बैठ जाओगी । … Read more >
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वृन्दा के इशारे पर सभी पक्षी शोर करेंगे । हे सुवदनी, शुक और शारी के वचन सुनकर तुम जाग कर बैठ जाओगी । मेरे धनी, तुम पीताम्बर से अपने अंग को ढंककर, नागर के पास जाकर बैठ जाओगी । … Read more >
|| श्री श्री वृन्दावनेश्वर्यै नमः ॥
वृन्दावनेश्वरी वयो गुण रूप लीला ,
सौभाग्य केलि करुणा जलधे’वधेहि ।
दासी भवानि सुखयानि सदा सकांतां ,
त्वां आलिभिः परिर्वृतां इदमेव याचे ॥
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हाय हाय मेरे वृन्दावनेश्वरी , तुम्हारे वय, रूप , गुण … Read more >
३
मेरे तो तीन प्रभु हैं – निताईचांद, गौरसुंदर और सीतानाथ । मेरी प्रार्थना है कि वे मुझपर कृपा करके अपनी लीला माधुरी का दर्शन कराएं । और सिर्फ इतना हि नहीं, मुझे हमेशा अपने संग रखें ।
श्रीवास प्रांगन में मेरे गौरकिशोर प्रेम में मगन होकर नाचेंगे, और राधा भाव में विभोर हो जाएँगे । दोनों प्रभु – नित्यानंद और अद्वैत – उनके दोनों तरफ नाच रहे होंगे ।
नवद्वीप
श्रीवास प्रांगण मध्यस्थः स्वापि भक्त गणैः सः
कदा पश्यामि गौरांग तव क्रीडित माधुरी |
निशांते गौर चंद्रस्य शयनाञ्च निजालये
प्रातः काल कृतोत्थान स्नानं तत्भोजनादिकम ।।
पीताम्बर घनश्याम द्विभुज सुन्दर,
कण्ठ में वनमाला, गुंजे मधुकर ।
शची मां कितने ही भुषणों से
सजा रही हैं गोराचांद को प्यार से ।
करके पिछ्ली यादें , प्रभु विभोर हुये,
पार्षदों को लेकर प्रभु भाव में डूब गये ।
रसोई से मलिना हुयी हसीना
बैठीं बाहर आकर,
पसीने से टलमल वह अंग झलमल
जैसे हों दिनकर ।
शीतल जल से निर्मल सुगंध से
भरकर सोने के गिलास,
बड़े सावधानी से और प्यार से
रखा हर आसन के पास ।