Chashmay mastay ajabay zulf daraazay ajabay,
Mai parastay ajabay fitna darazay ajabay,
Behray qatlam chu kushad taighe-nihaan sar basajud,
Oo ba-naazay ajabay mun be-neyaazay ajabay,
Turk taazay ajabay sho’bada baazay ajabay;
Kajkulahay ajabay arbada saazay ajabay;
Haq mago kalma-e kufr … Read more >
Author Archives: Madhumatidasi Adhikari
A Dark Wine So Potent
God has given us a dark wine so potent that,
drinking it, we leave the two worlds.
God has put into the form of hashish a power
to deliver the taster from self-consciousness.
God has made sleep so
that it … Read more >
श्री श्री राधा-कृष्ण की राज-सभा, भोजन और विश्राम –
अटरिया पे उठ कर देखे कानू,
मन्दिर के छत पर धनी, पुलकित तनू ।
दूर से दोनों एक दूजे को देखें,
अवश हुये तन, कैसे जिया रखें ?
The Sacrifice of Nama Yajna – Singing the Holy Name
My dear friend Sadanandi Mataji writes –
Dear Madhumati,
Radhe Radhe !
One inspiration from my Guru Maharaj:
The Sacrifice of Nama Yajna – Singing the Holy Name
A nama-yajna is exclusively for the pleasure of Krsna and doing it, … Read more >
श्री गौरचन्द्र के भोजन और विश्राम –
सोने का वर्ण हैं गौरचन्दा,
जगत की आंखों का फन्दा ।
उसपे कितने भाव-प्रकाश,
कौन समझे ये रस-विलास ?
कैसे कहूं पहुं[1] के चरित ?
उनकी तो आंसू-भरी पिरीत ।
पुलकित हैं प्रेम-अंकुर,
हर अंग सुख से भरपूर ।… Read more >
गोधूलि धुसर श्याम कलेवर
सखाओं के साथ आये नन्द-दुलाल,
गोधुलि धुसर श्याम कलेवर
जानू-लम्बित वनमाल ।
बार बार शृंग-वेनू रव सुनकर दौड़ आये ब्रजवासी,
आरती उतारें वधूगण, देखें मधुर मुस्कान-हंसी ।
पीताम्बर धर मुख निन्दे विधूवर
नव-मंजरी अवतंस
अंगद-केयूर चुड़ा मयूर,
बजाये मोहन-वंस[2]… Read more >
उत्तर-गोष्ठ की लीला –
राधा सरसी होकर हरषी
भवन में बैठीं बाला,
सुरस व्यंजन किया रन्धन,
भरईं[1] स्वर्ण-थाला ।
ढंककर वसन से रखकर जतन से
करने गयी स्नान,
दासियों के संग हुआ रस-रंग
करते हुये स्नान ।
अन्दर जाकर बहुत जतन कर
पहिना … Read more >
उत्तर गोष्ठ की आवेश में महाप्रभु
जय शची-नन्दन भुवन आनन्द !
नवद्वीप में उछले नव-रस-कन्द !
गो-क्षूर धूल देखकर, सुन वेणू-निसान,
“अपरूप श्याम मधुर-मधुर-अधर मृदु मुरली-गान”
ऐसा कहकर भाव-विवश गौर, कहे गदगद बात,
“श्याम सुनागर वन से आवत सब सहचरों के साथ ।
मेरे तन मन … Read more >
श्री श्री राधा-कृष्ण – शुक-शारी पाठ और पांसे का खेल –
राधा-माधव उठे शयन से अलस-अवश शरीर,
वनेश्श्वरी उस क्षण करके जतन लायी शारी-शुक कीर[1] ।
शुक-शारी को देखकर दोनों को हुआ आनन्द,
राई के इशारे पे वृन्दा पढ़ावे गीत-पद्य सुछन्द[2] ।
कानू के रूप लक्षण शुक करे वर्णन,… Read more >
श्री श्री राधा माधव के भोजन-अवशेष
रतन थाल भरई चीनी केले मलाई
लायीं रसवती राई,
शीतल कुंज तल खुशबू सुपरिमल
बैठे नागर कन्हाई ।