माधव बैठे कुंड के तीर
सोच सोचकर सुन्दरी बाट देखें श्री हरि
बेचैन दिल न रहे स्थिर
माधव बैठे कुंड के तीर
सोच सोचकर सुन्दरी बाट देखें श्री हरि
बेचैन दिल न रहे स्थिर
अपरूप कुंड की शोभा राई-कानू मनोलोभा
चारों तरफ शोभे चार घाट
विविध रत्नों की छटा अपूर्व सीढ़ियों की घटा
स्फटिक मणियों से बना घाट ।
सब धेनूगण लेकर गोपगण
सावधानी से चराये,
कान्हा दाऊजी के पास जाकर रखे विनम्र आस
वनशोभा देखन जाये ।
तप्त हेम जैसे गोरा उसपे हास सुमधुरा
जग जन नयन-आनन्दा
प्रेम-स्वरूप मूरत अपरूप
चेहरा पूनो का चन्दा ।
एकान्त बैठे गोरा
पैर से सर तक भरे हैं पुलक
बहे जाय प्रेम-धारा
Radhe Radhe !
This is an excerpt from a dsicourse delivered by H.H. Shachinandan Maharaj –
“The Sanatkumara Samhita tells us how we should surrender. We should simply say: “I surrender to Sri Sri Rãdhã and Krsna, whatever is mine, … Read more >
करो तैयारियां सभी सखियां
होकर तुम तत्पर,
सावधान बनके सुर्यपूजा करके,
जल्दी लौटना घर ।
प्यारी कुन्दलता विशाखा ललिता
ले आईं राई को घर,
राधिका रतन करके जतन
सौंपा जटीला के कर ।
कानू को भेजकर वन है यशोदा का विषाद मन
राधिका को लिया आग़ोश में,
दुख में हुई बावली न निकले बोली
वसन भीगा आंसूवन में ।
खेल समापन कर बहुत ही थककर
सखा बैठे घेरकर,
भोजन सम्भार था साथ अपार
भोजन किये मस्त होकर ।