सखियों के आगमन देखकर हर्षित मन
धनी उठ बैठे शेज पर,
नयन मेलकर मूंह धोकर
सजे दिल भरकर ।
धनी हैं गुणवती सभी कलाओं मे कलावती,
जानकर श्याम का उद्देश,
मदन-मोहन के मन को हरने के कारण
धरतीं हैं निरुपम … Read more >
सखियों के आगमन देखकर हर्षित मन
धनी उठ बैठे शेज पर,
नयन मेलकर मूंह धोकर
सजे दिल भरकर ।
धनी हैं गुणवती सभी कलाओं मे कलावती,
जानकर श्याम का उद्देश,
मदन-मोहन के मन को हरने के कारण
धरतीं हैं निरुपम … Read more >
राधा सरसी होकर हरषी
भवन में बैठीं बाला,
सुरस व्यंजन किया रन्धन,
भरईं[1] स्वर्ण-थाला ।
ढंककर वसन से रखकर जतन से
करने गयी स्नान,
दासियों के संग हुआ रस-रंग
करते हुये स्नान ।
अन्दर जाकर बहुत जतन कर
पहिना … Read more >
जय शची-नन्दन भुवन आनन्द !
नवद्वीप में उछले नव-रस-कन्द !
गो-क्षूर धूल देखकर, सुन वेणू-निसान,
“अपरूप श्याम मधुर-मधुर-अधर मृदु मुरली-गान”
ऐसा कहकर भाव-विवश गौर, कहे गदगद बात,
“श्याम सुनागर वन से आवत सब सहचरों के साथ ।
मेरे तन मन … Read more >
गोराचांद को जलकेलि याद आया,
पार्षदों के साथ खुद जल में उतर आया ।
एक दूसरे के अंग पर जल फेंक कर मारे,
गौरांग गदाधर को जल से मारे ।
जल-क्रीड़ा करे गोरा हरषित मन,
कोलाहल कलरव करे सब जन … Read more >
सहचर संग गौरकिशोर,
मधुपान-भाव-रस में हुये विभोर ।
क्या कहना चाहे और क्या बताये,
यह तो कोई समझ ही ना पाये ।
प्रभु के रूप में कुछ बदलाव आये,
देखकर भकतगण विभोर हो जायें ।
डोल रहे अलसित अरुण नयन,… Read more >
सौन्दर्य नहीं, अमृत-सिन्धु, उस तरंग का एक बिन्दु,
नाज़नीनों के चित्त को डूबाये।
कृष्ण की ये नर्म-कथाएं हैं सुधामय गाथाएं
तरुणियों के कानों को सुहायें ।
After convincing the Kazi in Simantadwip to surrender to Harinaam, Prabhu and the kazi assured that no one would hereafter, ever again disturb Mahaprabhu’s Harinaam Sankirtan. In that Harinaam, billions and billions of Nabadweep Vasis took part the entire night … Read more >
शचीनन्दन शचीदुलाल गोठ चले पगे पगे[1],
रोहिणी कुंवर निताइचांद आगे आगे भागे ।
पीताम्बर घनश्याम द्विभुज सुन्दर,
कण्ठ में वनमाला, गुंजे मधुकर ।