Radhe Radhe !
This composition is by the new poet on the net – Sriman Alok Krishna das, who is a Raganuga Vaishnav.
The theme is …after the dice game when krishna was defeated by
radharani and was not … Read more >
Radhe Radhe !
This composition is by the new poet on the net – Sriman Alok Krishna das, who is a Raganuga Vaishnav.
The theme is …after the dice game when krishna was defeated by
radharani and was not … Read more >
I was so impudent as to seek self-realization; however I could not touch even one drop from the ocean of the … Read more >
(Yathā Rāg)
esho gour esho !
(āmār) hridoy āsane esho boso he !
esho gour esho he !
अटरिया पर सुन्दर बगीचा है । उसके बीचोबीच मैं आसन बिछाऊँगी । तुम सखियों के साथ खूशी से उसपर बैठोगी । कब वह दिन आएगा जब तुम्हारे मुख में ताम्बूल अर्पण करूँगी और तुम्हारे चरणों को वक्ष में धरकर संवाहन … Read more >
सखियों के आगमन देखकर हर्षित मन
धनी उठ बैठे शेज पर,
नयन मेलकर मूंह धोकर
सजे दिल भरकर ।
धनी हैं गुणवती सभी कलाओं मे कलावती,
जानकर श्याम का उद्देश,
मदन-मोहन के मन को हरने के कारण
धरतीं हैं निरुपम … Read more >
कच्चे कंचन सी कान्ति कलेवर की,
चितवन कुटील सुधीर,
बहुत पतली चीर से ढंके हैं तन
जावत सुरधुनी तीर ।
अटरिया पे उठ कर देखे कानू,
मन्दिर के छत पर धनी, पुलकित तनू ।
दूर से दोनों एक दूजे को देखें,
अवश हुये तन, कैसे जिया रखें ?
सखाओं के साथ आये नन्द-दुलाल,
गोधुलि धुसर श्याम कलेवर
जानू-लम्बित वनमाल ।
बार बार शृंग-वेनू रव सुनकर दौड़ आये ब्रजवासी,
आरती उतारें वधूगण, देखें मधुर मुस्कान-हंसी ।
पीताम्बर धर मुख निन्दे विधूवर
नव-मंजरी अवतंस
अंगद-केयूर चुड़ा मयूर,
बजाये मोहन-वंस[2]… Read more >
जय शची-नन्दन भुवन आनन्द !
नवद्वीप में उछले नव-रस-कन्द !
गो-क्षूर धूल देखकर, सुन वेणू-निसान,
“अपरूप श्याम मधुर-मधुर-अधर मृदु मुरली-गान”
ऐसा कहकर भाव-विवश गौर, कहे गदगद बात,
“श्याम सुनागर वन से आवत सब सहचरों के साथ ।
मेरे तन मन … Read more >
राधा-माधव उठे शयन से अलस-अवश शरीर,
वनेश्श्वरी उस क्षण करके जतन लायी शारी-शुक कीर[1] ।
शुक-शारी को देखकर दोनों को हुआ आनन्द,
राई के इशारे पे वृन्दा पढ़ावे गीत-पद्य सुछन्द[2] ।
कानू के रूप लक्षण शुक करे वर्णन,… Read more >