मां यशोदा कानू को गोठ-वेश में सजा रहीं हैं –

 

सुनकर संकेत-वेणु                  जो बजाया कानु

                सुमुखी एक कमरे में किया प्रवेश,

योगपीठ

 

पीताम्बर घनश्याम द्विभुज सुन्दर,

कण्ठ में वनमाला, गुंजे मधुकर ।

शची माता गोराचांद को सजा रही है

 

 

शची मां कितने ही भुषणों से

सजा रही हैं गोराचांद को प्यार से ।

 

गौरचन्द्र – भोजन तथा वेश-भूषा

करके पिछ्ली यादें  , प्रभु विभोर हुये,

पार्षदों को लेकर प्रभु भाव में डूब गये ।